डेयरी और औषधीय पौधों के किसानों के लिए खुशखबरी, पशु चिकित्सा में आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए समझौता

डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 8 अप्रैल 2021,

औषधीय पौधों की खेती और पशुपालन से जुड़े किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए केंद्रीय पशुपालन और डेयरी विभाग ने आयुष मंत्रालय के साथ समझौता किया है। इससे पशु चिकित्सा विज्ञान में औषधीय पौधों के माध्यम से गुणवत्ता पूर्ण दवा के शोध को बढ़ावा मिलेगा। पशु चिकित्सा विज्ञान में आयुर्वेद और इससे संबंधित विषयों को लागू करने के लिए 7 अप्रैल, 2021 को मत्स्य पालन, पशुपालन तथा डेयरी मंत्रालय के पशुपालन व डेयरी विभाग और आयुष मंत्रालय के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इसके तहत पशु चिकित्सा विज्ञान में औषधीय पौधों के माध्यम से गुणवत्ता संपन्न दवा के नए फॉर्मूलेशनों पर शोध सहित अनुसंधान तथा विकास को बढ़ावा मिलेगा।

इस सहयोग से पशु स्वास्थ लाभ, पशुपालक समुदाय तथा समाज के लाभ के लिए पशु चिकित्सा क्षेत्र में आयुर्वेद के उपयोग के इस्तेमाल के लिए नियामक व्यवस्था विकसित करने में मदद मिलेगी। इस सहयोग से प्रशिक्षण के माध्यम से संबंधित क्षेत्रों में क्षमता सृजन होगा, सतत आधार पर हर्बल दवाइयों के लिए बाजार तलाशने में मदद मिलेगी और कृषि, तथा औषधीय पौधों के संरक्षण के लिए सेवाएं मिलेंगी। इस सहयोग से हर्बल पशु चिकिस्ता शिक्षा कार्यक्रम विकसित में मदद मिलेग और डेयरी किसानों तथा अनाज उत्पादक किसानों में हर्बल औषधि के उपयोग तथा जड़ी-बूटी कृषि के बारे में जागरुकता आएगी।

समझौता ज्ञापन पर एनएमपीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. जे.एल.एन. शास्त्री और पशुपालन और डेयरी विभाग से संयुक्त सचिव उपमन्यु बसु ने हस्ताक्षर किए। इस दौरन आयुष मंत्रालय सचिव वैद्य राजेश कोटेचा और पशुपालन-डेयरी विभाग के सचिव अतुल चतुर्वेदी समेत तमाम वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

बताया गया है कि इस समझौते के तहत आयुष मंत्रालय, पशुपालन विभाग को आयुष हर्बल पशु चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रमों के लिए पाठ्यक्रम को विकसित करने में मदद करेगा। साथ ही पशु चिकित्सा में इस्तेमाल होने वाले संभावित औषधीय पौधों की प्रजातियों की पहचान करने, अच्छे कृषि अभ्यासों और उच्चतम मानकों पर बेहतर संग्रह अभ्यासों को अपनाने में भी दोनों मिलकर कार्य करेंगे। आयुष / हर्बल पशु चिकित्सा दवाओं के निर्माण, कौशल विकास और क्षमता निर्माण के लिए गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेस का विकास, औषधीय पौधों के लिए वृक्षारोपण और नर्सरी विकास के लिए वित्तीय सहायता, सुविधा और औषधीय मानकीकरण के मानदंडों को सुविधाजनक बनाना भी इस समझौते के अहम पहलू हैं। योजना के दायरे के अनुसार अनुसंधान और परीक्षण केंद्र स्थापित करने में सहायता करना भी शामिल है।

इसके साथ ही समझौते के मुताबिक पशुपालन विभाग आयुर्वेदिक दवाओं के संबंध में आवश्यक, वांछनीयता और व्यवहार्यता के लिए विशेषज्ञ तकनीकी राय के लिए आयुष मंत्रालय की मदद करेगा। विभाग डेयरी किसानों और कृषि-किसानों के बीच हर्बल पशु चिकित्सा के उपयोग और महत्व और औषधीय जड़ी-बूटियों की खेती के बारे में एनडीडीबी की सहायता से जागरूकता पैदा करेगा। पशु चिकित्सा में आयुर्वेद और इसके संबद्ध विषयों के लिए पाठ्यक्रम विकसित करेगा, प्राथमिकता के आधार पर पशुधन और मुर्गीपालन की सूची की पहचान करेगा। अनुसंधान गतिविधि या पशु आयुर्वेद और संबद्ध धाराओं के आवेदन के संबंध में आर्थिक महत्व की बीमारियों, औषधीय पौधों की खेती और संरक्षण और संबंधित गतिविधियों के लिए किसानों का समर्थन, अनुसंधान संस्थानों जैसे पशु चिकित्सा कॉलेज और आईसीएआर अनुसंधान संस्थान के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग के अवसरों की पहचान करना भी इसमें शामिल होगा।

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