दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा जम्मू-कश्मीर, सरकार विकसित करेगी 100 ‘दुग्ध गांव’

डेयरी टुडे नेटवर्क,
जम्मू, 21 अगस्त 2021,

जम्मू-कश्मीर को दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार राज्य के सभी जिलों में दुग्ध गांव विकसित करने की योजना पर काम कर रही है। बताया गया है कि इस योजना के पहले चरण में 16 ऐसे गांव चयनित किए गए हैं, जहां जनजातीय आबादी अधिक है। सरकार की कुल 100 दुग्ध गांव बनाने की योजना है। इन दुग्ध गांवों में चिलिंग प्लांट के साथ दुग्ध उत्पादन और प्रसंस्करण यूनिट भी स्थापित की जाएंगी, जिससे युवाओं को रोजगार के अवसर सुलभ होंगे। पहले चरण के लिए 15 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इससे 1500 जनजातीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे।

प्रत्येक दुग्ध गांव के लिए 80 लाख रुपये मंजूर

जनजातीय मामलों के विभाग के सचिव शाहिद इकबाल चौधरी ने बताया कि केंद्र सरकार की जनजातीय कल्याण योजना के तहत प्रदेश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने और युवाओं को रोजगार प्रदान करने के लिए विशेष योजना तैयार की गई है। 6 नए दुग्ध गांव कैपेक्स बजट के तहत मंजूर किए गए हैं। इसमें शोपियां में दो, पुलवामा, राजोरी, गांदरबल और पुंछ में एक-एक गांव बनेगा। इनके लिए 80 लाख रुपये प्रत्येक गांव के लिए निर्धारित किए गए हैं। इन पैसों से गांव में मवेशियों की नस्ल में सुधार, मशीनरी व उपकरण लाने और मार्केट से जोड़ने का काम होगा। वहीं राजोरी, पुंछ, अनंतनाग, जम्मू, शोपियां, रियासी, कुपवाड़ा और बडगाम के 8 गांव को भी 80 लाख रुपये दिए जाएंगे। पुलवामा के स्नेगरवानी तथा राजोरी के अरगी गांव को 90 लाख रुपये पूर्व की योजनाओं को पूरा करने के लिए दिए जाएंगे।

हर दुग्ध गांव में मिल्क चिलिंग प्लांट और प्रोसेसिंग यूनिट लगेगी

शाहिद इकबाल चौधरी ने बताया कि शोपियां और गांदबरल में दूध फ्रीज करने के लिए दो प्लांट बनेंगे। इसके लिए 2 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। जिन गांवों में दूध उत्पादन की अधिक क्षमता है, उनकी पहचान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। उधमपुर, सांबा, कठुआ, डोडा, किश्तवाड़, रामबन, बडगाम, बारामुला, कुपवाड़ा और बांदीपोरा में ऐसे गांव तलाशने का काम होगा। स्किल डेवलेपमेंट और मार्केट के साथ जोड़ने के लिए अलग से प्लान भी तैयार किया जा रहा है। वहीं जनजातीय रिसर्च संस्थान में पहली बार सर्वे, विश्लेषण, डीपीआर और अन्य चीजों के लिए अलग से रिसर्च ग्रांट दी जाएगी।

अधिक दुग्ध उत्पादन क्षमता वाले गांवों का चयन होगा

दुग्ध गांव की पहचान करने के लिए जिला प्रशासन पशुपालन विभाग और स्थानीय नुमांइदों की मदद लेगा। पहले चरण में कोशिश होगी, वो तमाम गांव चुने जाएं, यहां सबसे अधिक दूध उत्पादन की क्षमता है। इन गांवों को 100 फीसदी सरकारी वित्तीय मदद के साथ स्थापित किया जा रहा है। इस बीच विभाग सार्वजनिक-निजी भागीदारी के साथ 100 दुग्ध गांवों और चिलिंग प्लांट की स्थापना के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों के साथ सक्रिय रूप से समन्वय कर रहा है, जिसमें योजना, अग्रिम सब्सिडी और ब्याज सबवेंशन का पता लगाया जा रहा है।

(साभार- अमर उजाला)

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