टिकैत के आरोप पर केंद्रीय डेयरी मंत्री की सफाई- ऑस्ट्रेलिया से दूध आयात का कोई प्रस्ताव नहीं

डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 4 जनवरी 2022

केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने मंगलवार को किसान नेता राकेश टिकैत के इस आरोप का खंडन किया कि आस्ट्रेलिया से दूध आयात करने का प्रस्ताव है। रूपाला ने टिकैत के आरोपों के जवाब में ट्वीट किया, ‘कुछ संगठन ऐसे हैं जो केवल विरोध-आधारित राजनीति के आधार पर काम कर रहे हैं और गलत सूचना फैला रहे हैं। उनका एकमात्र उद्देश्य किसानों का ध्यान भटकाना है। पशुपालन एवं डेयरी विभाग में डेयरी उत्पादों के आयात शुल्क पर किसी प्रकार की रियायत का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।’

दो दिन पहले टिकैत ने ट्वीट किया था, ‘सरकार आस्ट्रेलिया के साथ दूध खरीदने को लेकर अगले माह समझौता करने जा रही है, जिसके तहत 20-22 रुपये प्रति लीटर दूध बेचने की योजना है। सरकार के विदेशों से दूध आयात करने के फैसले से देश के पशु पालकों के सामने अस्तित्व का संकट पैदा हो जाएगा। किसान इसका विरोध करेंगे।’

रूपाला ने अपने जवाब में एक अतिरिक्त ट्वीट भी किया था जिसमें कहा गया था, ‘आपको यह जानकर खुशी होगी कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है।’ पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘आयात को भूल जाइए। हम दूध के भंडार हैं, हमें दूध आयात करने की आवश्यकता नहीं है, आस्ट्रेलिया से नहीं, कहीं से नहीं। इसके बजाय, हम कमी वाले देश को निर्यात कर सकते हैं।

अधिकारी ने कहा कि सरकार सहकारी समितियों को कार्यशील पूंजी ब्याज सबवेंशन भी प्रदान करती है ताकि वे जरूरत पड़ने पर मिल्क पाउडर बना सकें और स्टोर कर सकें। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2020-21 में बताए गया कि कुल वार्षिक उत्पादन 198.40 टन (2019-2020) है। भारत में प्रति व्यक्ति प्रति दिन दूध की उपलब्धता 406 ग्राम है।

एक साल से अधिक समय तक चले आंदोलन के दौरान टिकैत एक प्रमुख कृषि नेता के रूप में उभरे हैं, जिन्होंने कृषि कानूनों के विरोध में सरकार को उन्हें निरस्त करने के लिए धरने पर रहे। मंत्री के सार्वजनिक रूप से इनकार के बारे में पूछे जाने पर, टिकैत ने आइएएनएस को बताया, ‘यह कम से कम एक साल से लंबित प्रस्ताव है। मंत्री को खुद इस बात की जानकारी नहीं है कि उनके मंत्रालय में क्या होता है क्योंकि ये चीजें सीधे पीएमओ द्वारा तय की जाती हैं। कोरोना महामारी के कारण लंबित हुआ लेकिन अब, सरकार फरवरी में इस समझौते पर आगे बढ़ रही है।’

उन्होंने आगे कहा कि रूपाला ने भले ही कुछ भी ट्वीट किया हो, लेकिन हम जानते हैं कि यह फरवरी में हो रहा है। यह कंपनी गांवों में 22 रुपये प्रति लीटर दूध बेचेगी। किसान लोग अपने पशुओं के दूध पर निर्भर हैं। कंपनी यहां से नहीं खरीदेगी, बाहर से मिल्क पाउडर लाएगी।

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