डेयरी संघों के पास जमा हुआ 10 हजार मीट्रिक टन घी, जल्द नहीं बिका तो हो जाएगा खराब

डेयरी टुडे नेटवर्क,
जयपुर, 16 जून 2020,

कोरोना लॉकडाउन के दौरान राजस्थान के डेयरी संघों ने दूध खरीद कम नहीं कर के उसका घी बनाना शुरू कर दिया था। पिछले तीन महीने से ये सिलसिला लगातार चल रहा है। लेकिन अब यही देसी घी का स्टॉक डेयरी संघों के लिए जी का जंजाल बन गया है। न्यूज 18 की खबर के मुताबिक कोरोना लॉकडाउन (Lockdown) प्रदेश के डेयरी संघों (Dairy associations) पर भारी पड़ रहा है। डेयरी संघों के पास 10 हजार मीट्रिक टन सरस घी का स्टॉक (Stock of ghee) हो गया है। घी के इस स्टॉक को खपाना अब बड़ी चुनौती बन गया है और डेयरी संघों के अधिकारियों के पसीने छूटने लग गए हैं। शादी-समारोहों को सीमित करने और मंदिरों तथा होटल-रेस्टोरेंट के बंद होने के कारण पर्याप्त मात्रा में डेयरी संघों का घी नहीं बिका। अब इस घी के खराब होने जैसे हालात बन रहे हैं।

21 जिला दुग्ध संघों के पास इकट्ठा है यह घी

हालांकि सरस डेयरी से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि इसकी मार्केटिंग पर ध्यान दिया जा रहा है और घी के खराब होने की नौबत नहीं आएगी। आरसीडीएफ के महाप्रबंधक जयदेव सिंह के मुताबिक प्रदेश के 21 जिला दुग्ध संघों के पास अभी करीब 10 हजार मीट्रिक टन घी का स्टॉक हो गया है। इसमें से अकेले जयपुर डेयरी के पास करीब 5 हजार मीट्रिक टन घी जमा है। शादी-समारोह और होटल-रेस्टोरेंट बंद होने से घी की बल्क बिक्री पर असर पड़ा है। लेकिन अब कन्जूमर पैक्स की बिक्री बढ़ाकर इसे खपाने के प्रयास किए जा रहे हैं। डेयरी अधिकारियों के मुताबिक पिछले तीन माह में घी की कम बिक्री होने से डेयरी संघों के पास करीब 3 हजार मीट्रिक टन घी का अतिरिक्त स्टॉक हो गया है।

दूध की कम बिक्री भी वजह

लॉकडाउन के दौरान डेयरी संघों में दूध की आवक तो ज्यादा रही, लेकिन दूध की बिक्री काफी घट गई। उधर राज्य सरकार की तरफ से डेयरी संघों को निर्देश दिए गए कि वो पशुपालकों से दूध लेने से मना ना करें। ऐसे में डेयरियों में ज्यादा आए दूध को घी और पाउडर बनाकर खपाया गया। घी और एसएमपी की मार्केटिंग राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फैडरेशन के जिम्मे है। सबसे ज्यादा घी की बिक्री अप्रेल से जून के बीच होती है। लेकिन लॉकडाउन के चलते इस बार इस अवधि में घी की बिक्री ठप रही।

करीब 22 मीट्रिक टन घी रोज नया बन रहा है

अभी हर रोज डेयरी का करीब 10 मीट्रिक टन घी बिक रहा है। जबकि करीब 22 मीट्रिक टन घी रोज नया बन रहा है। अगर घी का स्टॉक जल्दी ही नहीं खपा तो यह अवधि पार हो जाएगी और इसे रिसाइकल करना पड़ेगा, जिससे डेयरी संघों को करोडों का नुकसान होगा। सरस घी की एक्सपायरी अवधि 9 महीने की होती है और इसे जनवरी-फरवरी से पहले खपाना पड़ेगा। हालांकि आरसीडीएफ के महाप्रबंधक जयदेव सिंह का कहना है कि हमारी मार्केटिंग स्ट्रेटेजी के मुताबिक नवम्बर-दिसम्बर तक पूरा स्टॉक खप जाएगा।
(साभार- न्यूज 18)

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4 thoughts on “डेयरी संघों के पास जमा हुआ 10 हजार मीट्रिक टन घी, जल्द नहीं बिका तो हो जाएगा खराब”

  1. Sir me gujrat ka rahne vala mene deiryfarm abhi agle sal hi nya suru kiya he me deiry farm ke lone lena chahta hu lekin koi benk menejar deiry farm ke lone me koi rispons hi nhi de rha to muje kya karna chahiye ki me lone le sku kripya meri madad kre

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