श्रीश्री रविशंकर अब ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के साथ ‘आर्ट ऑफ सेलिंग’ को भी नया रंग-रूप दे रहे हैं

बाबा रामदेव ने देश-विदेश के लोगों को योग सिखाते-सिखाते ‘पतंजलि’ ब्रांड के नाम पर हजारों करोड़ रुपए के कारोबार का ‘याेग’ कर लिया. अब उन्हीं की तरह ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ (जीवन जीने की कला) सिखाने वाले श्रीश्री रविशंकर अपनी ‘आर्ट ऑफ सेलिंग’ (बेचने की कला) को नया रंग-रूप देने में जुट गए हैं. द फाइनेंशियल एक्सप्रेस के मुताबिक श्रीश्री रविशंकर के एसएसटी (श्रीश्री तत्व) ब्रांड ने अगले दो-तीन साल में देश ही नहीं विदेश में भी आक्रामक विस्तार की योजना बनाई है. इस योजना पर अमल भी शुरू हो चुका है.

अख़बार के मुताबिक एसएसटी ब्रांड अगले दो साल के भीतर पूरे देश में अपने क़रीब 1,000 नए स्टोर खोलने जा रहा है. इसके लिए उसने फ्रैंचाइजी इंडिया के साथ समझौता किया है. इन स्टोरों पर सिर्फ एसएसटी के उत्पाद ही बेचे जाएंगे. यही नहीं एसएसटी ने ब्राज़ील और अर्जेंटीना जैसे 30 अन्य देशों में भी अपने पांव फैलाने की योजना बनाई है. जबकि अभी 33 देशों में उसकी पहुंच पहले से ही है. हालांकि एसएसटी के विस्तार की योजना से बाबा रामदेव के पतंजलि ब्रांड को कोई बड़ी चुनौती मिलेगी इसकी संभावना कम ही नज़र आती है.

खुदरा एवं उपभोक्ता क्षेत्र में सक्रिय पिनाकीरंजन मिश्रा कहते हैं, ‘पतंजलि और एसएसटी की स्थिति अलग-अलग है. पतंजलि के देश में लाखों स्टोर हैं और वह छोटी-बड़े ढेरों उत्पाद बनाती है. उसके ग्राहकों में आम से आम लोग भी शामिल हैं. जबकि एसएसटी के उत्पाद प्रीमियम किस्म के हैं और उन्हें ऊंचे तबके वाले लोग ही अधिक ख़रीदते हैं. दोनों अपनी-अपनी जगह अच्छी तरह जमे हुए हैं. इनमें अगर कोई समानता है तो बस इतनी कि दोनों उत्पादों की बिक्री का फ्रैंचाइजी मॉडल अपना रहे हैं क्योंकि इसमें ज़्यादा निवेश की ज़रूरत नहीं होती.’

ग़ौरतलब है कि एक अनुमान के मुताबिक पतंजलि का कारोबार क़रीब 10,561 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है. और वह लगातार दायरा बढ़ा रही है. बाबा रामदेव ने 27 सितंबर को ही एलान किया है कि पतंजलि 2022 तक दो लाख करोड़ रुपए की कंपनी होगी. जबकि एसएसटी का दायरा पतंजलि के मुकाबले आधा भी नहीं है. हालांकि एसएसटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी तेज कटपिटिया कहते हैं, ‘हम दो साल से लगातार 100 फीसदी की रफ्तार से तरक्की कर रहे हैं. हमारे पास 300 से ज़्यादा उत्पाद हैं और हम देश के सभी राज्यों, शहरों, छोटे कस्बों तक तेजी से अपना विस्तार कर रहे हैं.’

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