बिहार: दुग्ध उत्पादन में सुपौल का भी होगा नाम, रोजाना 1 लाख लीटर क्षमता की डेयरी का निर्माण जोरों पर

सुपौल(बिहार), 22 जुलाई 2017,
दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कदम आगे बढ़ा दिये हैं। कोसी के सुपौल जिले में एक लाख लीटर प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन क्षमता वाले डेयरी का निर्माण कार्य चल रहा है। इसके चालू हो जाने पर पशुपालकों को तो लाभ मिलेगा ही साथ ही साथ तीन जिलों को यहीं से दूध की आपूर्ति की जाएगी। कोसी का इलाका भी दुग्ध क्रांति से आच्छादित हो, पशु धन में बढ़ोतरी हो और पशुपालकों की आर्थिक स्थिति सुधरे इसको ले सरकार ने पहल की। इसी के नतीजे स्वरूप सुपौल में एक लाख लीटर प्रतिदिन की क्षमता वाले सुपौल डेयरी का शिलान्यास किया गया। कोसी के सुपौल जिला की आर्थिक स्थिति सुधारने को ले तत्कालीन पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री बिहार सरकार बैद्यनाथ सहनी 10 अगस्त 2014 को सुपौल पहुंचे और इसका शिलान्यास किया गया। इस मौके पर बिहार सरकार के वित्त वाणिज्यकर मंत्री विजेन्द्र प्रसाद यादव, वन एवं पर्यावरण तथा योजना एवं विकास विभाग के मंत्री पीके शाही भी मौजूद थे। 27.05 करोड़ की लागत से बनने वाले सुपौल डेयरी का काम जोर-शोर से चल रहा है और जल्द ही इसके चालू हो जाने की उम्मीद जगायी जा रही है।

कभी समृद्ध माना जाता था पशुधन में कोसी का इलाका

पशुधन के मामले में कोसी का इलाका समृद्ध माना जाता रहा है। यहां के दूध-दही की चर्चा अन्य इलाकों में भी होती रही है। इलाके के लोग जब भी आसपास के इलाके में रिश्तेदारी में जाते थे तो संदेश के रुप में दूध-दही ले जाना नहीं भूलते थे। शादी-विवाह के मौके पर भी लोग दूध-दही लेकर ही रिश्तेदारी आते थे। पर सरकारी उदासीनता व विभागीय शिथिलता के कारण पशुपालकों का मोह पशुधन से भंग होता चला गया और इलाका पैकेट बंद दूध पर निर्भर हो गया। रही-सही कसर कुसहा-त्रासदी ने पूरी कर दी। कुसहा-त्रासदी के समय हजारों की संख्या में माल-मवेशी काल के गाल में समा गये। जो बचे उनके लिए भी चारा जुटाना मुश्किल हो गया। मजबूरन पशुपालकों ने पशुओं को बेच देना ही मुनासिब समझा और इलाका पशु धन से बेजार सा हो गया।

सरकारी योजना पशुपालकों को कर रही आकर्षित

इधर दुग्ध क्रांति को ले सरकार की नजर पशुधन की ओर भी गई है। सरकार पशुपालकों के लिए कई तरह के रियायत व अनुदान की घोषणा कर रही है। सरकारी प्रयास से लोगों का ध्यान पशुपालन की ओर बढ़ा है। नतीजा है कि छोटे-मोटे स्तर पर लोग डेयरी खोल कर न केवल अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने में लगे हैं, बल्कि पशुधन बढ़ाने के अभियान में भी भूमिका निभा रहे हैं। कुसहा-त्रासदी के बाद इलाके की स्थिति धीरे-धीरे बेहतर हो रही है और लोगों का झुकाव एक बार फिर से पशुधन की ओर हो रहा है।

पशुपालकों के लिए सुलभ हुई बाजार व्यवस्था

इलाके के पशुपालकों को उनके दूध का उचित मूल्य मिले और उनके लिए बाजार की सुलभ व्यवस्था हो, इसके लिए सरकार ने पहले तो सुपौल में दूध शीतक केन्द्र की स्थापना की और फिर सुपौल में सुपौल डेयरी के नाम से डेयरी का शिलान्यास किया। फिलहाल दूध शीतक केन्द्र की गाड़ी इलाके से दूध जमा कर दूध शीतक केन्द्र सुपौल तक लाती है और एकत्रित दूध को सुधा डेयरी बरौनी भेज दिया जाता है। अब जब सुपौल डेयरी का निर्माण जोर-शोर से चल रहा है तो पशुपालकों की आस भी बलवती हो चली है कि अब उनके दिन भी बहुरेंगे। नतीजा है कि इलाके में पशुधन में इजाफा हो रहा है और उत्तम नस्ल के पशुधन इलाके में दिख रहे हैं। आने वाले दिनों में दुग्ध उत्पादन में सुपौल का भी होगा नाम।

सभार-दैनिक जागरण
http://www.jagran.com/bihar/supaul-government-16412724.html

Editor

View Comments

Recent Posts

FY 2022-23 में Mother Dairy का टर्नओवर 14,500 करोड़ रुपये पहुंचा

डेयरी टुडे नेटवर्क, नई दिल्ली, 22 अगस्त 2023, दिल्ली-एनसीआर की प्रमुख दूध आपूर्तिकर्ता मदर डेयरी…

4 weeks ago

IDA के अध्यक्ष आर एस सोढ़ी से जानिए कब तक मिलेगी दूध की बढ़ी कीमतों से राहत!

नवीन अग्रवाल, डेयरी टुडे नेटवर्क, नई दिल्ली, 11 मई 2023 भारत में पिछले कई महीनों…

4 months ago

Niti Ayog Report: डेयरी एक्सपोर्ट बढ़ाना है तो आयातित उत्पादों से करना होगा मुकाबला

डेयरी टुडे नेटवर्क, नई दिल्ली, 9 मई 2023, कुछ दिनों पहले तक देश में दूध…

4 months ago

Mother Dairy ने ‘धारा’ ब्रांड के तहत बिकने वाले खाद्य तेल के दाम घटाए

डेयरी टुडे नेटवर्क, नई दिल्ली, 5 मई 2023, मदर डेयरी ने 'धारा' ब्रांड के तहत…

5 months ago