कोरोना त्रासदी: दुग्ध उत्पादन घटाने के लिए मवेशियों को कम चारा खिला रहे हैं डेयरी किसान!

Dairy Today Network,
बिलासपुर (छत्तीसगढ़), 3 मई 2020,

कोरोना महामारी की त्रासदी पशुपालकों के साथ-साथ पशुओं पर भी पहाड़ बनकर टूटी है। लॉकडाउन के कारण दूध की बिक्री हो नहीं रही है, ऐसे में पशुपालक और डेयरी किसान दूध का आखिर क्या करें। पशुपालकों ने पिछले डेढ़ महीने में खूब घी बना लिया, लेकिन उसका भी कोई खरीदार नहीं है। मजबूरी में अब छत्तीसगढ़ के डेयरी किसानों ने पशुओं को ही चारा कम खिलाना शुरू कर दिया है, जिससे वे दूध ही कम दें। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले की बात करते हैं वहां 15 घंटे खुलने वाले मिल्क पार्लर लॉकडाउन में आठ घंटे ही खुल रहे हैं नतीजा, दूध की खपत आधी रह गई है। दूध को खराब होने से बचाने के लिए डेयरी फॉर्म वाले अब मवेशियों को आधा चारा दे रहे हैं। इसके बाद भी उन्हें नुकसान हो रहा है। 35 रुपये लीटर का दूध वे एक राष्ट्रीय दूध कंपनी को 24 रुपये प्रति लीटर में देने मजबूर है। वहीं देर से दूध देने पर 16 रुपये लीटर का ही रेट मिल रहा है।

मवेशियों पर लॉकडाउन की मार, कम खिलाया जा रहा है दाना और चार

बिलासपुर जिले में छोटे-बड़े करीब 80 डेयरी फॉर्म हैं। इनसे करीब 2 लाख लीटर दूध उत्पादन का अनुमान है। इसके अलावा निजी तौर पर भी सैकड़ों किसान दो, चार, पांच गाय या भैंस रखकर अपनी आजीविका के लिए शहरों में आकर दूध बेचते हैं। कोरोना लॉकडाउन के कारण इन दूधियों पर भी फर्क पड़ा है और कई दूधिए अब शहर नहीं आ पा रहे हैं। लेकिन सबसे ज्यादा फर्क पड़ा है, Dairy Farm वालों को। दैनिक भास्कर ने कुछ डेयरी में जाकर वहां स्थिति का जायजा लिया। ग्राम पंचायत निरतू के वर्मा डेयरी फार्म में 150 मवेशी हैं। इस गांव में इतने अधिक मवेशी किसी के पास नहीं है। शहर के प्रमुख मिल्क पार्लर में यहां से दूध की सप्लाई होती है। दोनों समय मिलाकर 500 से लेकर 550 लीटर दूध का उत्पादन यहां हो रहा है। पर लॉकडाउन के पहले दो से तीन सौ लीटर दूध का उत्पादन अधिक होता था। उसकी वजह बताते हुए राजाराम यादव कहते हैं कि ज्यादा दाना खिलाएंगे तो गाय ज्यादा दूध देगी और मिल्क पार्लर में दूध की मांग कम है। अगर दूध का उत्पादन अधिक कर भी लें तो कोई लेने वाला भी नहीं है। अभी ज्यादा दाना खिलाएंगे तो खर्च भी ज्यादा होगा। खर्च को कंट्रोल करने के लिए दाना तो कम खिलाना पड़ेगा। इसलिए रोज एक क्विंटल कम दाना खिला रहे हैं। दूध की मांग बढ़ेगी तो दाना बढ़ाया जाएगा।

सीपत इलाके के ग्राम मोहरा में राकेश शर्मा डेयरी फॉर्म संचालित करते हैं। उन्होंने भी दूध का उत्पादन घटा लिया है। रोजाना करीब एक से डेढ़ क्विंटल कम दाना मवेशियों को खिला रहे हैं। कहना है कि गर्मी में डेयरी में सर्वाधिक उत्पादन होता है, लेकिन कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन के कारण डेयरी आठ घंटे खुल रहे हैं जो कि बहुत कम है। दूध का उत्पादन करने पर घाटा हो रहा है। 26 रुपए किलो में दाना खरीदना पड़ रहा है। दो से 3 रुपये का कटिया 7 रुपये में खरीद रहे हैं।

मिल्क पार्लर में 75 फीसदी तक घटी बिक्री

डेयरी संघ के संचालक कैलाश गुप्ता ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से काउंटर पर 75 फीसदी तक बिक्री घट गई है। हालांकि प्रशासन के निर्देश का पूरा पालन किया जा रहा है। दूध उत्पादन करने वालों को समस्या तो हो रही है क्योंकि ज्यादा बिक्री नहीं होने से उनका पूरा दूध नहीं ले पा रहे हैं। गुप्ता डेयरी के संचालक सतीश गुप्ता के मुताबिक सुबह सात बजे से दोपहर एक बजे और शाम को 5 से 7 बजे तक ही मिल्क पार्लर खोलने की अनुमति है। इसे बढ़ाया जाना चाहिए। कम समय मिलने से दूध की बिक्री घट गई है। यहीं वजह है कि डेयरी फॉर्म वाले मवेशियों को कम दाना खिलाकर उत्पादन कम ले रहे हैं।

पॉलीपैक दूध की खपत होटल और चाय ठेले बंद होने से घटी

दूध के व्यवसाय से जुड़े लोगों के मुताबिक ट्रेन बंद होने की वजह से भाटापारा इलाके से आने वाला 70 से 80 हजार लीटर दूध नहीं आ रहा है। यदि यह दूध भी आता तब तो यहां के किसानों के लिए संकट और बढ़ जाता। इसके अलावा पॉलीपैक दूध की खपत होटल और चाय ठेले बंद होने की वजह से घट गई है। डेयरी के व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि दूध धीरे-धीरे घाटे का सौदा होकर रह गया है। छोटे डेयरी वाले तो इस धंधे को छोड़ रहे हैं। दो साल में जिले की छोटी-बड़ी 15 डेयरियां बंद हो चुकी हैं।
(साभार-दैनिक भास्कर)

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