जानिए, देश में कहां खुला पहला गौ-अभ्यारण, गायों को क्या-क्या सुविधाएं मिलेंगी ?

डेयरी टुडे नेटवर्क,
भोपाल, 30 सितंबर 2017,

मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले के सालारिया गांव में 11 गायों की पूजा अर्चना करने के बाद देश के प हले गौ-अभ्यारण का शुभारंभ हो गया है. 29 सितंबर को मध्य प्रदेश के आगर मालवा में एक सादे सामारोह में गौ-अभ्यारण का विधिवत शुभारंभ किया गया। आरएसएस के क्षेत्र संघ चालक अशोक सोहनी और गौ संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद ने ग्यारह गायों का पूजन कर कामधेनु गौअभ्यारण्य में गौ प्रवेश की प्रक्रिया प्रारंभ की. इस अवसर पर संघ से जुड़े पदाधिकारियों के अलावा सांसद मनोहर ऊंटवाल, विधायक मुरलीधर पाटीदार और गोपाल परमार, कलेक्टर अजय गुप्ता और एसपी आरएस मीना भी मौजूद थे. यहा गायों की नस्ल सुधार से लेकर दूध, गोबर व मूत्र तक पर शोध होगा. साथ ही दवाएं भी बनेंगी.

एशिया का पहला गौ-अभ्यारण-स्वामी अखिलेश्वरानंद

इस मौके पर स्वामी अखिलेश्वरानंद ने कहा कि एक छोटी सी गंगोत्री के रूप में सालारिया गांव में जो गौशाला चलती थी, वो विशाल गंगा के रूप में एशिया महाद्वीप के सबसे पहले गौ-अभ्यारण्य के स्वरूप में अस्तित्व में आ गई है. स्वामीजी ने यह भी कहा की गाय को समाज शास्त्र, अर्थशास्त्र, ज्योतिष शास्त्र से जोड़ सकते हैं. गाय में ऐसी असाधारण क्षमता है कि इससे देश का आर्थिक विकास बदल सकता है, जो अमेरिका के डॉलर और सऊदी अरब के दीनार को भी पीछे छोड़ सकता है.

2012 में मोहन भागवत ने किया था शिलान्यास


जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर सालारिया गांव में 472 हेक्टेयर जमीन पर बने इस अभ्यारण्य की क्षमता 6000 गायों को रखने की है. 32 करोड़ रुपयों की इस योजना में 24 शेड के अलावा कृषक प्रशिक्षण केंद्र, गौ अनुसंधान केंद्र के अलावा गोबर गैस प्लांट और सोलर प्लांट लगाए गए हैं. 2008 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसकी घोषणा की थी और 2012 में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने इसका भूमि पूजन किया था. 2015 में गायों के लिए शेड बन कर तैयार हो गए थे.

गायों की देखभाल के लिए पूरे इंतजाम

अभ्यारण में लावारिस, बीमार, दूध नहीं देने वाली गायें भी रखी जाएंगी और उनका संरक्षण भी किया जाएगा. बता दें गायो की देखभाल के लिए 85 कर्मचारियों को ठेके पर रखा गया है. यहां शाजापुर, आगर, राजगढ़ समेत कई जिलों से गायें लाई गई है. ज्यादातर बेसहारा और वृद्ध हैं। अभ्यारण्य के प्रभारी और पशुपालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर के अनुसार, तीन पशु चिकित्सक और छह सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी पदस्थ हो चुके हैं. 17 में से सात पद अभी खाली हैं। इनमें अनुसंधान केंद्र के लिए वैज्ञानिक व सहायक वैज्ञानिक आदि की नियुक्ति होनी है.

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