किसान भाइयों हो जाओ तैयार, अब कृषि उपज बेचने के लिए खुला है पूरे देश का बाजार

डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 3 जून 2020,

देश के किसानों के लिए बहुत ही अच्छी खबर है। अब कृषि उपज बेचने के लिए उन पर स्थानीय कृषि मंडियों में जाने की बंदिश खत्म हो गई है। अब किसानों के लिए पूरे देश का बाजार खुला है। किसान अब किसी भी शहर, किसी भी राज्य में अपने मन मुताबिक उपज के बेचने के लिए स्वतंत्र हैं। केंद्र सरकार ने किसानों के 50 साल पुरानी मांग को मान लिया है। केंद्र सरकार ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें मजबूती प्रदान करने वाले प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब किसानों को मंडियों के इंस्पेक्टर राज से मुक्ति मिल गई है। अब किसानों के मालामाल होने का रास्ता साफ हो गया है।

‘वन नेशन, वन एग्रीकल्चर मार्केट’ का सपना साकार

बुधवार को मोदी कैबिनेट की बैठक में किसानों से जुड़े कई महत्वपूर्ण फैसलों पर मुहर लगाई गई। उनमें सबसे महत्वपूर्ण है कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020 (The Farming Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Ordinance, 2020) को मंजूरी। इस अध्यादेश के बाद अब सही मायने में देश का किसान अपनी फसल कहीं भी बेचने के लिए आजाद हो गया है। अब किसानों को एपीएमसी या कृषि मंडी में ही फसल बेचने की पाबंदी नहीं है। मंत्रिमंडल के फैसले की घोषणा करते हुए, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘मौजूदा एपीएमसी मंडियां काम करना जारी रखेंगी, राज्य एपीएमसी कानून बना रहेगा, लेकिन मंडियों के बाहर, अध्यादेश लागू होगा.’ उन्होंने कहा कि अध्यादेश मूल रूप से एपीएमसी मार्केट यार्ड के बाहर अतिरिक्त व्यापारिक अवसर पैदा करने के लिए है, ताकि अतिरिक्त प्रतिस्पर्धा के कारण किसानों को लाभकारी मूल्य मिल सके। गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को साढ़े छह दशक पुराने आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी ताकि अनाज, दलहन और प्याज सहित खाद्य वस्तुओं को नियमन के दायरे से बाहर किया जा सके। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी ट्वीट कर इस फैसले को ऐतिहासिक बताया है।

तीन दिनों में किसानों को उपज की कीमत के भुगतान का प्रावधान

कृषि मंत्री के मुताबिक अब किसान अपनी उपज को एफपीओ अधिसूचित मंडियों के परिसर के बाहर किसी भी व्यापारी, कंपनी को बेच सकते हैं। इस कानून में किसानों के हितों का भी प्रावधान किया गया है। खरीदारों को तुरंत या तीन दिनों के भीतर किसानों को भुगतान करना होगा और माल की डिलीवरी के बाद एक रसीद प्रदान करनी होगी। कृषि मंत्री ने कहा कि मंडियों के बाहर बाधा रहित व्यापार करने में कोई कानूनी अड़चन नहीं आएगी। आपको बता दें कि मौजूदा समय में, किसानों को पूरे देश में फैली 6,900 एपीएमसी (कृषि उपज विपणन समितियों) मंडियों में अपनी कृषि उपज बेचने की अनुमति है। मंडियों के बाहर कृषि उपज बेचने में किसानों के लिए प्रतिबंध हैं।

कॉन्ट्रैक्ट खेती में किसानों को पूरा कानूनी संरक्षण

खेती-किसानी से जुड़े एक और महत्वपूर्ण फैसला करते हुए सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट खेती करने वाले किसानों की स्थिति को, प्रोसेसर, एग्रीगेटर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के सामने सशक्त बनाने के लिए ‘मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश, 2020′ को भी मंजूरी दी है। अब कॉन्ट्रैक्ट खेती करने वाले किसानों को कानूनी अधिकार मिलेगा और उन्हें अपनी उपज के मूल्य की गारंटी भी मिलेगी। जाहिर है कि इससे जहां एक और कृषि सेक्टर में निजी निवेश बढ़ेगा, वहीं किसानों को बेहतर जानकारी, तकनीक के साथ खेती के लिए जरूरी पूंजी मिलेगी, जिससे वे अधिक गुणवत्ता वाली पैदावार कर सकेंगे।

मोदी सरकार के इस फैसले के बाद अब सिर्फ अकाल, प्राकृतिक आपदा , युद्ध और बेतहाशा महंगाई जैसे हालात में ही कृषि उपजों की कीमतों को नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि इन प्रावधानों के चलते जमाखोरी और महंगाई बढ़ने की आशंका जताई जा रही है, लेकिन सरकार ने इन्हें ख़ारिज़ कर दिया। कृषि और किसान कल्याण के लिहाज से देखें तो मोदी सरकार के इन फैसलों का असर दूरगामी होगा और किसानों के लिए लाभप्रद होगा।

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