बदलाव की ओर आइस्क्रीम बाजार, स्थानीय ब्रांड देश भर में छाने के लिए तैयार

डेयरी टुडे डेस्क,
नई दिल्ली, 25 दिसंबर 2017,

देश में करीब 9,000 करोड़ रुपये का आइसक्रीम बाजार नए बदलाव के लिए तैयार है जिनमें असंगठित खिलाड़ी भी शामिल हैं। क्षेत्रीय ब्रांड मसलन अरुण, क्रीम बेल, वाडीलाल डेयरी इंटरनैशनल और हेरिटेज अब क्वॉलिटी वॉल्स, अमूल और अन्य दूसरी कंपनियों से मुकाबला करने के लिए तैयार हैं। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि अगले कुछ सालों में इसमें 10 फीसदी की वृद्धि की उम्मीद है और इस क्षेत्र के ब्रांड का नक्शा हमेशा के लिए बदल सकता है।

रिजनल ब्रांडों पर दबाव

क्षेत्रीय ब्रांडों पर दबाव बढ़ रहा है क्योंकि उनके अपने ही दायरे में छोटे और उभरते घरेलू ब्रांडों से उनका मुकाबला बढ़ रहा है। साथ ही फूड और डेयरी में घरेलू ब्रांडों को ज्यादा तरजीह दी जा रही है। 2017 के सालाना नील्सन ग्लोबल ब्रांड-ओरिजिन सर्वे से यह संकेत मिलता है कि वैश्विक ब्रांडों को तरजीह देने की रफ्तार बढ़ रही है लेकिन डेयरी और ताजा खाने वाली श्रेणियों में स्थानीय ब्रांडों के पक्ष में बेहतर रुझान देखा जा रहा है। वहीं क्षेत्रीय ब्रांड नए मौके पाने के लिए मजबूत कदम उठा रहे हैं। कई बाजारों में अपना दायरा बढ़ाने और जोरदार विज्ञापन अभियान शुरू करने के बजाय वे अब स्थानीय पसंद और रुचि की जानकारी का इस्तेमाल करते हुए बुनियादी ढांचे की आपूर्ति करने के साथ ही एक वक्त पर एक बाजार में छाने की कोशिश कर रहे हैं।

धीमी रफ्तार

चेन्नई केह टसन एग्रो प्रोडक्ट्स लिमिटेड की अरुण आइसक्रीम्स नवंबर 2017 में मुंबई के बाजार में उतरी। मुंबई में इसके दो आउटलेट मुंबई के मुलुंड और भिवंडी में मौजूद है। इस शहर में आने से पहले इस ब्रांड का दायरा तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, ओडिशा, महाराष्ट्र और गोवा में रहा है। मुंबई में भी इस ब्रांड का पहला स्टोर भी शहर के लोकप्रिय जगहों से दूर है लेकिन यहां ऐसे पर्याप्त ग्राहक हैं जो वे इस ब्रांड से वाकिफ हैं। हटसन एग्रो के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक आर जी चंद्रमोहन कहते हैं कि उन्होंने अपने आइसक्रीम के लिए अरुण (अर्थ सूरज) नाम इसलिए चुना क्योंकि ज्यादा धूप होने का मतलब हुआ आइसक्रीम की मांग और बढऩा। हैटसन कुटीर उद्योग से संचालित होकर एक राष्ट्रीय ब्रांड बना है जिसकी बाजार में 4.5 फीसदी हिस्सेदारी है। अब यह देश की सबसे बड़ी निजी डेयरी बन गई है।

चंद्रमोहन कहते हैं, ‘हम बाजार में कमजोर स्थिति में नहीं रह सकते हैं। हमारी मौजूदगी सभी बाजारों में है और हम अपना दबदबा बनाने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ हैं।’ वह कहते हैं कि आइसक्रीम बेचने वाले डेयरी खिलाडिय़ों को लागत के लिहाज से फायदा है। वह कहते हैं, ‘आइसक्रीम के लिए गर्मी का सीजन व्यस्तता भरा होता है लेकिन दूध उत्पादन के लिहाज से यह कमजोर सीजन होता है। प्रतिस्पद्र्धी दर पर सामान हासिल करना भी किसी खिलाड़ी के लिए चुनौतीपूर्ण है।’ हैटसन दूध आधारित कच्चा माल पर 4 फीसदी मार्जिन बचाने पर में सक्षम रहा है और यह फायदा कारोबार, विज्ञापन और नए बाजार में प्रवेश करने में लगाया जाता है।

राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच

आइसक्रीम बाजार काफी बंटा और असंगठित है। मिसाल के तौर पर औरंगाबाद में अनुमानित तौर पर 46 छोटे ब्रांड हैं। इससे मार्जिन 4-5 फीसदी तक कम रहता है। जब राष्ट्रीय खिलाड़ी इसमें शामिल होते हैं तो यह मार्जिन और भी कम हो जाता है। राष्ट्रीय स्तर पर दांव खेलने के लिहाज से कई ब्रांडों के लिए यह उत्साहजनक कदम है। वे स्थानीय नजरिये और दूसरों के गलत कदम से सबक लेकर अपनी महत्त्वाकांक्षा में बदलाव ला रहे हैं। कीमतों के लिहाज से संवेदनशील बाजार मसलन उत्तर प्रदेश में ब्रांड छवि बनाना मुश्किल है लेकिन शिक्षित बाजार मसलन केरल में उनके विस्तार की योजनाएं आसान हैं।

उद्योग के सूत्रों ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘गुजरात के हैवमोर आइसक्रीम ने अपना दायरा सीमित रखा। ऐसे में मार्जिन का दबाव उन पर दिखने लगा था। प्रवर्तक आइसक्रीम कारोबार को बेचने का विकल्प देखने लगे ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर उनकी मौजूदगी ब्रांड वैल्यू बढ़ाने के लिहाज से अहम थी।’ दक्षिण कोरिया के लोटे ग्रुप ने नवंबर में 1,020 करोड़ रुपये में हैवमोर का अधिग्रहण कर लिया।

इसके उलट क्रीमबेल आइसक्रीम बनाने वाली आरजे कॉर्प की स्वामित्व वाली देवयानी फूड इंडस्ट्रीज ने देशभर में अपने ब्रांड का दायरा बढ़ाया है और यह रिकॉर्ड समय में देश के शीर्ष पांच आइसक्रीम ब्रांड में शामिल हो गई। देवयानी फूड इंडस्ट्रीज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नितिन अरोड़ा कहते हैं कि केरल उन चुनिंदा बाजारों में शामिल है जहां उसकी मौजूदगी नहीं है। इस साल उन्होंने तमिलनाडु में अपना संचालन शुरू किया है और इस ब्रांड की मौजूदगी पिछले 5 सालों से कर्नाटक और आंध्रप्रदेश में है। उत्तर भारत से कंपनी की राजस्व हिस्सेदारी करीब 55 फीसदी और देश के बाकी हिस्से से यह हिस्सेदारी 45 फीसदी तक है।

पांच सालों में क्रीम बेल ने अपनी उत्पादन क्षमता लगभग दोगुनी कर ली है। अरोड़ा का कहना है कि वित्त वर्ष 2018 में 250 करोड़ रुपये पूंजीगत खर्च की योजना थी जिनमें से 210 करोड़ रुपये पहले से ही निवेश किए जा चुके हैं। उनका कहना है, ‘जैसे ही आप अपने बाजार के दायरे से बाहर निकलते हैं इसकी लागत बढ़ती जाती है।’ इस तरह की चीजें ही आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू द्वारा स्थापित हेरिटेज फूड्स को प्रोत्साहित करती हैं। नायडु की बहू और हेरिटेज फूड्स की कार्यकारी निदेशक ब्राह्मणी नारा का कहना है कि कंपनी को मूल्यवर्धित उत्पाद श्रेणी में 75 फीसदी कमाई दही से होती है और कंपनी अब दूसरे सेगमेंट मसलन आइसक्रीम पर ध्यान दे रही है। नारा कहते हैं, ‘आइसक्रीम हमारे उत्पाद पोर्टफोलियो को तार्किक बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे।’ हेरिटेज दक्षिण में आइसक्रीम बेचती है लेकिन इसकी नजर राष्ट्रीय स्तर पर अपना दायरा बढ़ाने पर है।

मिंटेल शोध के मुताबिक वैश्विक आइसक्रीम बाजार 2016 में 13 अरब लीटर की बिक्री स्तर को छुएगा जबकि भारत और वियतनाम दुनिया के सबसे तेजी से उभरते बाजार हैं। वर्ष 2017 में भारत का कारोबार ब्रिटेन को भी पीछे छोड़ देगा। इसकी वजह से वाडीलाल डेयरी इंटरनैशनल ने भी अगले दो सालों में अपने आउटलेट की तादाद दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। वाडीलाल डेयरी इंटरनैशनल के निदेशक राहिल गांधी कहते हैं वे फ्रीजर में निवेश करने के साथ ही ब्रांड छवि बेहतर बनाने की कोशिश भी कर रहे हैं। अपने आधार को मजबूत करने के साथ यह अपने दायरे में भी विस्तार करना चाहती है लेकिन उनका कहना है कि यह बदलाव महंगा साबित हो सकता है। वह बड़े लीग में शामिल होने के लिए धीमे-धीमे ही कदम बढ़ा रहे हैं।
(साभार-बिजनेस स्टैंडर्ड http://hindi.business-standard.com/storypage.php?autono=142466)

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