करनाल: NDRI में 75 पशुओं की मौत से हड़कंप, वजह छिपाने में लगा प्रबंधन, IVRI की टीम जांच में जुटी

डेयरी टुडे नेटवर्क,
करनाल(हरियाणा), 17 सितंबर 2019,

हरियाणा में करनाल स्थित प्रतिष्ठित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान(NDRI) में संदिग्ध हालातों 75 से अधिक पशुओं की मौत से हड़कंप मच गया है। बताया गया है कि पिछले एक हफ्ते से दुर्लभ नस्लों की गाय और भैसों के मरने का सिलसिला जारी है और रोजाना करीब 10 पशुओं की मौत हो रही है। इस बड़े रिसर्च इंस्टीट्यूट में पशुओं की मौत की वजह पता नहीं चल पा रही है, हालांकि इसके लिए विषाक्त पशुचारे को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। वर्ष 1955 में स्थापना के बाद से एनडीआरआई में पहली बार इतने बड़े स्तर पर पशुओं की मौत हुई है। इस घटना से संस्थान के सभी वैज्ञानिक सहमे हुए हैं।

IVRI की टीम जांच में जुटी

पशुओं की मौत की जांच के लिए बरेली से इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (IVRI)के वैज्ञानिकों की टीम बुलाई गई है। संक्रमण रोकने के लिए कैटल यार्ड के गेट पर चूना फैला दिया गया है। संस्थान ने किसी बाहरी व्यक्ति के कैटल यार्ड के बाहर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। उधर, इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर एनिमल प्रोटेक्शन ने मामले में एनडीआरआई के वैज्ञानिकों के खिलाफ सिविल लाइन थाने में ऑनलाइन शिकायत दी है।

मौत के कारणों को छिपाने में लगा एनडीआरआई प्रबंधन

एनडीआरआई के प्रवक्ता डॉ. राजन शर्मा ने बताया कि कुछ पशुओं की मौत हुई है। मौत होने के कारणों की जांच की जा रही है। फिलहाल इससे ज्यादा कुछ नहीं बताया जा सकता। बताया जा रहा है कि एनडीआरआई में कोई गंभीर संक्रमण फैला है और उसे छिपाने की कोशिश की जा रही है। आरोप ये भी लगाया गया है कि NDRI की ओर से मरे हुए पशुओं का पोस्टमार्टम भी नहीं कराया गया और मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। पुलिस और पशुपालन मंत्री को दी शिकायत में इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर एनिमल प्रोटेक्शन के अध्यक्ष नरेश कादियान ने आरोप लगाया कि संस्थान में पिछले सप्ताह में 75 से ज्यादा दुधारू और दूध न देने वाले पशुओं की मौत हो चुकी है।

संस्थान के कैटल यार्ड में 2000 से ज्यादा गाय और भैंस

संस्थान के कैटल यार्ड में 2000 से ज्यादा दुर्लभ प्रजाति की गाय, भैंस और भैंसा हैं, जिन पर संस्थान रिसर्च करता है। मृतक पशु भी इन्हीं मे से थे। एक-एक पशु की कीमत लाखों रुपये में है। इनमें मुर्राह नस्ल की भैंसें भी शामिल हैं। इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर एनिमल प्रोटेक्शन का आरोप है कि संस्थान के जिम्मेदार अधिकारी मामले को दबाने का प्रयास कर रहे हैं। इसलिए बिना पोस्टमार्टम के ही मृत पशुओं को दफना दिया गया।

विषाक्त पशु आहार मौत की वजह तो नहीं!

इस पूरे घटनाक्रम की जांच के लिए बरेली स्थित इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के तीन सीनियर साइंटिस्ट आए हुए हैं। टीम हर एंगल पर जांच कर रही है। सूत्रों का दावा है कि प्रारंभिक तौर पर फीड में खराबी के कारण ऐसा हुआ है। आशंका है कि फीड में माइक्रोटाक्सिन फंगस की आशंका है। माइक्रोटाक्सिन फंगस एक जहर की तरह ही है। उधर, संस्थान के अधिकारी किसी भी बात की पुष्टि करने से बच रहे हैं। प्रबंधन के लोग ये जरूर कह रहे हैं कि हो सकता है कि जहरीली घास खाने से ऐसा हुआ हो।

1955 में हुई थी NDRI की स्थापना

वर्ष 1923 में संस्थान की स्थापना पशुपालन एवं डेयरी इम्पीरियल इंस्टीट्यूट के नाम से बैंगलोर में हुई थी। वर्ष 1955 में मुख्यालय को करनाल में स्थानांतरित कर दिया गया, साथ ही इसका नाम राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान रखा गया। इसके दो क्षेत्रीय केंद्र हैं, जो कि एक बैंगलोर और दूसरा कल्याणी, पश्चिम बंगाल में स्थित है। दक्षिण एवं पूर्वी क्षेत्रीय केंद्र कृषि वातावरण के अनुरूप डेयरी विकास के लिए अनुसंधान एवं सहयोग प्रधान करने में लगे हैं। तभी से यहां पर पशुओं पर रिसर्च चल रहा है और डेयरी विकास के लिए वैज्ञानिक काम कर रहे हैं। वर्ष 1985 को शैक्षणिक कार्यक्रमों के संचालन के लिए डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा प्राप्त हुआ।

विश्व में भैंस का पहला क्लोन NDRI में बना

विश्व में भैंस का प्रथम क्लोन (2010) में एनडीआरआई में तैयार किया गया। अब तक करीब 18 क्लोन तैयार किए जा चुके हैं। संस्थान में करीब 2000 पशु रखे हुए हैं, जिन पर शोध कार्य किया जा रहा है। पशु पोषण विभाग नित नए कैटेल फीड एवं मिश्रित खनिज फोर्मूलेशन इजाद करने में कार्य कर रहे हैं। आईवीएफ, ओपीयू के द्वारा उत्तम नस्ल के दुधारू पशुओं का प्रजनन पशु जैव-प्रौद्योगिकी, पशु आनुवांशिकी एवं प्रजजन विभागों द्वारा किया जा रहा है। राट्रीय दुग्ध गुणवत्ता एवं रेफरल केंद्र स्थापित है, जहां दूध व दूध से बने पदार्थों की गुणवत्ता की जांच होती है।

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