प्रियंका अग्रवाल, डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 14 अप्रैल 2023,
डेयरी सेक्टर में बहुत संभावनाएं हैं और जो लोग इस क्षेत्र में पूरी मेहनत के साथ अपनी किस्मत आजमाते हैं, उन्हें सफलता जरूर मिलती है। डेयरी टुडे में हमारी कोशिश डेयरी सेक्टर में सफलता हासिल करने वाले सक्सेसफुल Dairy किसानों की कहानी से रूबरू कराने की होती है। आज हम आपके सामने लेकर आए हैं, मध्य प्रदेश के जबलपुर की दो महिला डेयरी किसानों (Women Dairy Farmer) की सफलता की कहानी, जो स्मार्ट डेयरी (Smart Dairy) खोलकर अपने आसपास के इलाके में लोगों को शुद्ध दूध (Pure Milk) पिलाने के संकल्प को पूरा कर रही हैं।
हम बात कर रहे हैं जबलपुर की वंदना अग्रवाल (Vandana Agarwal) और डा. मोनिका अग्रवाल (Monika Agarwal) की। ये दोनों मिलकर 200 पशुओं की स्मार्ट डेरी (Samrt Dairy) चला रही हैं। वर्ष 2019 में स्मार्ट डेरी का विचार लेकर काम शुरू किया और आज यह विचार वास्तविकता में बदल गया है। आपको बता दें कि वंदना अग्रवाल और मोनिका अग्रवाल रिश्ते में ननद-भाभी हैं और दोनों ने इस रिश्ते की अहमियत को समझते हुए अपना और अपने परिवार का भविष्य संवारने का वो काम किया है, जो आज दूसरों के लिए मिसाल बन गया है।
46 वर्ष की वंदना अग्रवाल एनवायरमेंटल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएट हैं, जबकि 38 वर्षीय मोनिका अग्रवाल पेशे से पशु चिकित्सक हैं। दोनों ने मिलकर जबलपुर से लगभग 15 किलोमीटर दूर उमरिया चौबे में स्मार्ट डेरी का सफल संचालन कर रही हैं। वंदना के पिता और पति दोनों वेटरनरी डॉक्टर हैं। यानी परिवार में तीन लोग वेटरनरी डॉक्टर हैं, इसलिए पशुओं से लगाव होना स्वभाविक है।
वंदना कहती हैं, ‘2008 में मेरे बेटे की तबीयत खराब हो गई। डॉक्टर ने कहा कि बाहर का दूध नहीं पिलाना है। पैकेट वाला तो बिलकुल भी नहीं। फिर भाई ने भैंस खरीदी और हमने घर का दूध बच्चे को पिलाना शुरू किया। कुछ समय बाद पापा ने कहा कि हमें कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे हमें भी शुद्ध दूध मिले और दूसरों को भी। हमें भी उनका सुझाव ठीक लगा। सोचा, चलो कोशिश करके देखते हैं। इसके बाद मेरे भाई ने चार भैंसों से दूध का छोटा-मोटा काम शुरू किया। तब हमने डेयरी खोलने का या इस तरह से स्टार्टअप शुरू करने के बारे में नहीं सोचा था।
वंदना बताती हैं, ‘भाई ने कहा कि हमें इस काम को आगे बढ़ाना चाहिए। लेकिन परेशानी यह थी कि वह अकेले इस काम को कैसे मैनेज करेगा। फिर मैंने और भाभी ने यह तय किया कि हम दोनों मिलकर बिजनेस संभालेंगे, पापा ने भी हमारा भरपूर साथ दिया। इसके बाद हमने बैंक से लोन लिया और अपनी डेयरी शुरू कर दी।
तीन वर्ष से अधिक समय में इन्होंने लगभग 700 से ज्यादा घरों तक पहुंच बना ली है, जहां उनके डेरी फार्म से सीधे डेयरी उत्पाद पहुंचाए जाते हैं। ग्राहक की जरूरत के मुताबिक डेरी में ही दूध से बने दूसरे उत्पाद जैसे पनीर, दही और खोवा की भी आपूर्ति की जाती है। डेयरी प्रोडक्ट तैयार करने से लेकर पहुंचाने के काम में लगभग 30 से ज्यादा कर्मचारी लगे हैं।
इस डेयरी से दूध लेने वाले हर ग्राहक को मिल्क स्मार्ट कार्ड दिया गया है, जिस पर क्यूआर कोड लगा है। मोबाइल से कार्ड को स्कैन करने पर ग्राहक के वालेट से पैसे कटकर डेरी के खाते में चले जाते हैं। इस स्मार्ट डेयरी में पूरा सिस्टम कैशलेश और आनलाइन है, मतलब यह कि उत्पादों की डिलीवरी से लेकर प्रक्रिया के संचालन तक। आज इनके डेयरी फार्म के कारोबार का टर्नओवर करोड़ों में है।
डा. मोनिका अग्रवाल बताती हैं कि डेरी में मिल्क पार्लर है, जहां पर मशीन की मदद से गाय और भैंस से दूध निकाला जाता है। फिर इसे ठंडा करने के बाद पैक कर सीधे ग्राहक के घर तक पहुंचाया जाता है। इस प्रक्रिया में कोई बिचौलिया नहीं है, जिससे दूध की गुणवत्ता और ग्राहक का विश्वास बरकरार रहता है। इस पूरी प्रक्रिया के लिए दोनों ने एक ऐप बनवाया है, जिसे ग्राहक गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं।
ननद और भाभी दोनों मिलकर सारे काम करती हैं। मोनिका अग्रवाल डेयरी में तैयार होने वाले उत्पाद की गुणवत्ता को बनाए रखने के काम के साथ पशुओं की देखभाल का काम करती हैं। वहीं वंदना ग्राहकों तक समय पर उत्पादों की आपूर्ति और भुगतान को संभालने का काम करती हैं।
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