National Milk Day 2022: जानिए, राष्ट्रीय दुग्ध दिवस क्यों मनाते हैं और क्या है इसका महत्त्व

नवीन अग्रवाल, डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 26 नवंबर 2022,

हर साल 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस (National Milk Day) मनाया जाता है। दूध को संपूर्ण आहार कहा गया है। दूध में शरीर को जरूर पोषण देने वाले सारे तत्व होते हैं। तभी तो शिशु को दूध पिलाने से ही सारे पोषण तत्व मिल जाते हैं। नवजात से लेकर वृद्ध तक के लिए दूध जरूरी आहार है। भारत में दूध की क्रांति जिसे श्वेत क्रांति के नाम से जानते हैं, इस श्वेत क्रांति के जनक वर्गीज कुरियन हैं, जिन्होंने भारत में दूध की कमी को दूर कर हर वर्ग तक दूध की पहुंच बनाई।

वर्गीज कुरियन का जन्म 26 नवंबर 1921 को हुआ था। वर्गीज ने दूध के उत्पादन में वृद्धि करने और डेयरी को बढ़ावा देने के लिए काफी योगदान दिया था। इसीलिए उन्हें मिल्कमैन ऑफ इंडिया भी कहा जाता है। नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के साथ मिलकर भारतीय डेयरी एसोसिएशन और 22 राज्य स्तरीय दूध फेडरेशन ने 2014 में डॉक्टर वर्गीज कुरियन के जन्मदिन को दुग्ध दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। इस तरह पहला दुग्ध दिवस 26 नवंबर 2014 को मनाया गया।

1970 में भारत के राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड ने ग्रामीण विकास कार्यक्रम को शुरू किया। जिसे ऑपरेशन फ्लड नाम दिया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर मिल्क ग्रिड तैयार करना था। जिससे कि दूध के व्यापारियों द्वारा की जाने वाली मनमानी को रोका जा सके। इस कार्यक्रम को सफलतापूर्वक चलाने का काम वर्गीज कुरियन ने किया। जो कि राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के चेयरमैन थे।

जिसके परिणास्वरूप भारत में श्वेत क्रांति आई और भारत विश्व में सबसे अधिक दुग्ध और दूध से जुड़े उत्पादों को बनाने वाला देश बन गया। अपनी मैनजमेंट स्किल से वर्गीज कुरियन ने इस योजना को क्रांति में बदल दिया था। जिससे भारत में दूध की पैदावार बढ़ी और साथ ही ग्रामीण भारत की आय में भी इजाफा हुआ।

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